noImage

स्वामी रामसुखदास

1904 - 2005

स्वामी रामसुखदास की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 1

निरंतर उपासना का तात्पर्य है— निरंतर भजन। अर्थात् नामजप, चिंतन, ध्यान, सेवा-पूजा, भगवदाज्ञा-पालन यहाँ तक कि संपूर्ण क्रिया मात्र ही भगवान की उपासना है।

  • शेयर
 

पुस्तकें 1

 

Recitation