हमारे पूर्वजों ने अधिकारों के लिए संघर्ष किया, आज की पीढ़ी को कर्तव्य के लिए संघर्ष करना है।
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अंतःकरण प्रत्येक व्यक्ति के चरित्र का सार है।
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स्वतंत्रता से भी अधिक शक्तिशाली एक और शब्द है—'अंतःकरण'।
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इस विश्व में हर वस्तु का अंत होता है। पुस्तक की अंतिम पंक्ति, अंतिम उपदेश, अंतिम भाषण, जीवन का अंतिम कार्य और मृत्यु के समय कहे हुए अंतिम शब्द- सब इसी अटूट सत्य की ओर निर्देश करते हैं।
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आज के समाज में प्रतिभा तो बहुत है, परंतु श्रद्धा नहीं है। ज्ञान तो है परंतु व्यावहारिक बुद्धि नहीं है। आडंबरपूर्ण सभ्यता तो है, परंतु प्रेम व सहानुभूति नहीं है।