प्रेमचंद का आलोचनात्मक लेखन
उपन्यास
उपन्यास की परिभाषा विद्वानों ने कई प्रकार से की है, लेकिन यह कायदा है कि जो चीज़ जितनी ही सरल होती है, उसकी परिभाषा उतनी ही मुश्किल होती है। कविता की परिभाषा आज तक नहीं हो सकी। जितने विद्वान् हैं, उतनी ही परिभाषाएँ हैं। किन्हीं दो विद्वानों की रायें
उपन्यास के विषय
उपन्यास का क्षेत्र, अपने विषय के लिहाज़ से दूसरी ललित कलाओं से कहीं ज्यादा विस्तृत है। 'वाल्टर बेसेंट' ने इस विषय पर इन शब्दों में विचार प्रकट किए हैं : “उपन्यास के विषय का विस्तार मानव-चरित्र से किसी कदर कम नहीं है। उसका संबंध अपने चरित्रों के कर्म
उपन्यास-रचना
भारत-निवासियों ने यूरोपियन साहित्य के किसी अंग को इतना ग्रहण नहीं किया, जितना उपन्यास को। यहाँ तक कि उपन्यास अब हमारे साहित्य का एक अविच्छेद्य अंग हो गया है। उपन्यास का जन्म चौदहवीं-पंद्रहवीं शताब्दी के लगभग हुआ। शेक्सपियर ने अपने कई नाटकों की रचना इटालियन
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere