अमृतलाल नागर के पत्र
अमृतलाल नागर का डॉ. रामविलास शर्मा के नाम पत्र
चौक, लखनऊ-3 1964 प्यारे डॉक्टर 'जत्थेदार', इधर पाँच-छह रोज़ तक मेरा मन आठों याम अंतर्मुखी ही रहा। बहिर्मुखी होकर कार्य-संपादन करते हुए भी वह अविराम रूप से अंतर्मुखी ही रहा। दुनिया की हर बात केवल एक ही धुन में सुनाई पड़ रही थी। 'यद् यद् कर्म
अमृतलाल नागर का श्री सुमित्रानंदन पंत के नाम पत्र
चौक, लखनऊ-3 9-1-75 पूज्यवर, सादर सविनय प्रणाम। पत्र पाकर कृतार्थ हुआ। पत्र लिखने के मामले में मैं इतना आलसी हूँ कि अब क्षमा माँगना भी मुझे महज़ अपनी बेशर्मी का प्रदर्शनी करना ही लगता है। जो हो, यह चिर-अपराधी आपके सम्मुख सिर झुकाए खड़ा है,