अज्ञेय का आलोचनात्मक लेखन
उपन्यास की भारतीय विधा
साहित्य के 'राष्ट्रीय' रूप में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। क्यों हो? राष्ट्रीयतापरक साहित्य हो सकता है, विभिन्न समयों पर उसकी ज़रुरत भी हो सकती है और यह भी हो सकता है कि समूचे देश-समाज की मुख्य संवेदना का प्रतिबिंबन और वहन करते हुए साहित्य राष्ट्रीयता
आधुनिक उपन्यास की पृष्ठभूमि
आधुनिक उपन्यास की चर्चा करते समय विषय को मुख्यतया अँग्रेज़ी उपन्यास तक ही सीमित रखना विश्व-साहित्य में उपन्यास के विकास को एकांगी रूप देना है और स्वयं अँग्रेज़ी उपन्यास को भी अधूरा देखना है क्योंकि, विशेषतया उत्तरकाल में वह दूसरी भाषाओं के साहित्यों