गुरु गोविंद सिंह की संपूर्ण रचनाएँ
सबद 2
सवैया 9
उद्धरण 6

वह सबको शरण देने वाला है, दाता और सहायक है। अपराधों को क्षमा करने वाला है, जीविका देने वाला है और चित्त को प्रसन्न करने वाला है।
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जिसे भगवान् बचाता है, उसका शत्रु क्या कर सकता है? उसकी तो छाया को भी शत्रु नहीं छू सकता। उसके प्रति असमर्थ शत्रु के प्रयत्न निष्फल हो जाते हैं।
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मैं तुझे ईश्वर को जानने वाला आस्तिक नहीं मानता, क्योंकि तुझसे अनेक हृदयों को दुःख पहुँचाने वाले काम मिले हुए हैं।
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वह पूर्ण से भी पूर्ण है, सदा स्थिर रहने वाला है और कृपालु है। इच्छानुसार देने वाला है, जीविका देने वाला है, कृपालु और दयालु है।
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