संपूर्ण
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उद्धरण18
धर्मवीर भारती के पत्र
धर्मवीर भारती का पत्र जगदीश चतुर्वेदी के नाम
प्रिय भाई, 3 जून, 1971 आपकी लंबी कविता मिली। इधर 27 जून तक के अंक की सामग्री प्रेस जा चुकी है इसलिए बहुत कोशिश करके भी इतनी बड़ी कविता के लिए अब स्थान निकाल पाना संभव नहीं है, क्योंकि 20 जून के अंक में भी एक लंबी कविता इसी से संबंधित विषय पर प्रेस
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere