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मुझसे बिछड़ने के बाद

mujhse bichhaDne ke baad

गौरव गुप्ता

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गौरव गुप्ता

मुझसे बिछड़ने के बाद

गौरव गुप्ता

और अधिकगौरव गुप्ता

    संभावना है कि

    मुझसे बिछड़ने के बाद

    तुम किसी पुरुष के पास लौटो

    जब ऐसा हो तो मैं चाहता हूँ

    कि अँधेरी रात में उसके कंधे पर सिर रखते ही

    तुम्हें मेरी याद आए :

    किसी ऐसे स्वप्न की तरह

    जिसमें हो गहरी ख़लिश

    हमबिस्तर होओ तो

    उसकी बाँहों में अथाह ख़ालीपन महसूस करो

    और पूरी रात जागो खिड़की से ताकते हुए

    सूनेपन से भरे चाँद को

    ख़ूब शराब पियो और लड़खड़ाती ज़ुबाँ से

    मेरा नाम लो उस रात

    वाक़ई वह शहर का अमीर होगा

    भीड़ होगी उसके आस-पास

    उस भीड़ में अकेलापन चिपक जाए तुम्हारे मन से

    तुम बेतहाशा दौड़ो समुद्र के किनारे

    भरने को सुकून की हवा

    याद आए तुम्हें हमारा साझा स्वप्न :

    लकड़ी का वह छोटा घर

    तुम्हारी बेख़ौफ़ खिलखिलाहट

    किताबों से भरा मेरा कमरा

    हमारे मिलन की रात बजती मधुर धुन

    तुम्हारी पसंदीदा वोदका

    तुम्हारे गीले बालों से टपकती बूँदें

    मेरा भीगता चेहरा

    आग-सा तपता हमारा पहला चुंबन

    संभावना है कि

    तुमसे बिछड़ने के बाद

    मैं भी लौटूँगा

    आस-पास जन्मे

    किसी गहरे अँधेरे से लड़ता हुआ

    पीली रौशनी में ढूँढ़ता काग़ज़ और क़लम

    लिखूँगा कोई लंबी कविता

    इस क्रूर समय के नाम

    और सो जाऊँगा वहीं

    दो पंक्तियों के अंतराल में

    कविता के शीर्षक पर

    सिर रखकर

    तकिए की तरह

    मैं चाहता हूँ कि

    जब भी ऐसा हो तो

    एक दिन तुम

    भोर के साथ-साथ आओ

    सुबह की चाय के साथ

    मुझे जगाओ और कहो :

    'गौरव, कविता पूरी नहीं करोगे?'

    मैं हँसूँ लंबे अरसे के बाद

    और मुझे मेरे इस स्वार्थ के लिए

    माफ़ करे मेरा ईश्वर

    पर मैं ख़ुश रहूँ कि

    हम एक दूसरे की बाँहों में मरे

    इक रोज़।

    स्रोत :
    • रचनाकार : गौरव गुप्ता
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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