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तेरह

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दर्पण साह

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और अधिकदर्पण साह

    अगस्त का महीना हमेशा

    जुलाई के बाद आता है

    ये साइबेरियन पक्षियों को नहीं मालूम

    दो सिगरेटों के बीच

    मैं कोई निश्चित समय-अंतराल नहीं रखता

    खाना ठीक समय पर खाता हूँ

    और सोता भी निश्चित समय पर हूँ

    अपने निश्चित समय पर

    क्रमशः जब-जब भूख लगती है

    और जब नींद आती है

    इससे ज़्यादा निश्चित समय का ज्ञान नहीं मुझे

    जब चींटियों की मौत आती है

    तब उनके पंख उगते हैं

    जब मेरी इच्छा होती है

    तब दिल्ली में बारिश होती है

    कई बार मैंने अपनी घड़ी में तीस भी बजाए हैं

    मेरे कैलेंडर के कई महीने चालीस दिन के भी हुए हैं

    मैं यहाँ पर लीप ईयर की बात नहीं करूँगा

    मुक्ति और आज़ादी में अंतस् और बाह्य का अंतर होता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : लुका-झाँकी (पृष्ठ 11)
    • रचनाकार : दर्पण साह
    • प्रकाशन : हिन्द युग्म
    • संस्करण : 2015

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