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शायद... प्रेम-कहानी है

shayad prem kahani hai

सौरभ अनंत

अन्य

अन्य

सौरभ अनंत

शायद... प्रेम-कहानी है

सौरभ अनंत

और अधिकसौरभ अनंत

    इस कमरे में

    एक कहानी रहती है

    कहानी में कबूतर का एक जोड़ा है

    प्रेम-कहानी है शायद

    दोनों खिड़की से टिक पहरों-पहर

    बस देखते रहते हैं इक दूसरे को

    धूप आती है फिर छाँव और फिर धूप

    वह जब देखती है उसे

    तो वह पलकें झपका, फेर लेता है चेहरा अपना

    दूर बादलों में कहीं कुछ देखने का अभिनय करता है

    तब तक, जब तक वह देखती है उसे

    फिर अचानक, वह दूर बादलों में देखती है

    और वह देखता रहता है उसे

    इस कहानी में कहे जाने के लिए

    संसार की तमाम-तमाम कहानियों से ज़्यादा संभावना है

    फिर भी वे कुछ नहीं कहते

    इस कहानी में दो चेहरे हैं भावशून्य

    जो एक-दूसरे से नज़र बचाते

    बस देख लेना चाहते हैं—

    एक-दूसरे की आँखों में

    इस कहानी में

    दोनों खिड़की से टिक पहरों-पहर

    कह देने को एक-दूसरे से

    बस खोजते रहते हैं वह शब्द

    जो अधूरा तो हो

    पर जिसके मायने हों कोई

    इस कहानी में

    दुनिया का सबसे बेबस मौन है

    शायद... प्रेम-कहानी है

    जो इस कमरे में ही रहती है

    स्रोत :
    • रचनाकार : सौरभ अनंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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