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सात

sat

दर्पण साह

अन्य

अन्य

और अधिकदर्पण साह

    सात और आठ के बीच भी हैं

    कई और संख्याएँ

    अनंत दिशाएँ हैं

    प्राची और उत्तर के बीच

    नहीं और हाँ के बीच में

    ढेर सारी हिचकिचाहटें

    और उनकी व्याख्याएँ

    जीवन और मृत्यु के मध्य में है

    वर्तमान

    पीड़ा और आनंद के बीच

    पेंडुलम-सा झूलता अस्तित्व

    होने होने के मध्य में

    स्मृतियाँ

    स्वप्न और वास्तविकता के बीच

    तुम

    कितने ही तो अनकहे संवाद ठहरे

    किन्हीं दो में से दोनों के

    वे कहते हैं—

    आत्मा और शरीर के बीच

    मन जैसी कोई चीज़ होती है

    जैसे

    होने होने के बीच

    हमारी इच्छाएँ

    इच्छाएँ

    केवल पाने भर की ही

    कुछेक खो देने की भी

    क्या कविताएँ नहीं हैं

    मौन एवं शब्दों के कहीं मध्य में?

    किसी न्यूट्रॉन-सी तटस्थता सदा ही पसरी रही है

    छूने और छोड़ देने के बीच

    जैसे निश्चितताओं के दो छोरों के बीच

    संभावनाएँ

    वैसे ही क्या भय और प्रेम के दो छोरों के बीच

    कुछ भी नहीं?

    स्रोत :
    • पुस्तक : लुका-झाँकी (पृष्ठ 20)
    • रचनाकार : दर्पण साह
    • प्रकाशन : हिन्द युग्म
    • संस्करण : 2015

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