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तलाशी

talashi

अनुवाद : गिरधर राठी

यानिस रित्सोस

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और अधिकयानिस रित्सोस

    आइए जनाब, उसने पुकार कर कहा। स्वागत है!

    देख लें हर चीज़। मुझे कुछ नहीं छिपाना है।

    ये रहा शयनकक्ष, यह बैठक,

    यह रहा भोजन का कमरा। यहाँ? ये कबाड़-घर।

    चीज़ें घिस जाती हैं महामना! उन्हीं से भरी है ये कोठरी।

    हर चीज़ घिसती है, बात की बात में चीज़ें घिस जाती हैं।

    ये? ये है माँ का अंगुश्ताना। ये? ये हैं माँ की ढिबरी, छतरी

    —वह मुझे बेहद प्यार करती थी—

    आह! ये फ़र्ज़ी पहचान पत्र? गहने? किसी और के?

    ये गंदा तौलिया?...

    नाटक के टिकट? थिगड़ा क़मीज़? ख़ून के धब्बे?

    और ये फ़ोटो? उसका, हाँ वही जो फूलदार

    जनाना टोपी में है...

    किसी अजनबी को भेंट—उसकी लिखावट—

    किसने यहाँ पेंट किया? किसने रख दीं ये चीज़ें? किसने

    यहाँ रख दीं ये चीज़ें?

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 129)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : यानिस रित्सोस
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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