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सड़क पर पड़े एक घायल कुत्ते को देखकर

saDak par paDe ek ghayal kutte ko dekhkar

विलियम कार्लोस विलियम्स

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विलियम कार्लोस विलियम्स

सड़क पर पड़े एक घायल कुत्ते को देखकर

विलियम कार्लोस विलियम्स

और अधिकविलियम कार्लोस विलियम्स

    यह मैं ही हूँ

    —वह बेबस जानवर नहीं

    जो दर्द से कराह रहा है—

    जो मुझे अपनी असलियत पर लाकर चौंका देता है

    जैसे विस्फोट हुआ हो बम का

    ऐसे बम का जिसने बना दिया हो

    सारी दुनिया को बंजर

    मैं क्या कर सकता हूँ सिवा इसके

    कि गीत गाऊँ

    और दर्द सुनाऊँ

    एक नशीली मूर्छा संवेदनाओं पर छा जाती है

    जैसे मैंने शीराज़ी ढाली हो : मुझे याद आता है

    रेने शा का काव्य

    और जो कुछ उसने देखा है

    और भोगा है

    जिससे अब वह गाता है

    केवल सिवार भरी नदियाँ

    उनके तट पर उगे डैफ़ोडिल और ट्यूलिप

    जिनकी जड़ों को वे सींचती हैं

    और वे मुक्त प्रवाहिनी नदियाँ भी

    जो उन मधुगंध वाले फूलों की नन्हीं जड़ों को

    धोती हैं

    जो देवपथ पर

    खिलते हैं

    मुझे याद आती है

    इसे देखकर

    ‘नार्मा’ की

    मेरे शैशव की मेरी प्यारी कुतिया

    झबरे बाल, भाव भरी आँखें

    उसने बच्चे दिए एक बार

    और मैंने एक पिल्ले को जूते से कुचल दिया

    इस डर से कि वह उसकी छातियों को

    दाँतों से चींथ कर मेरी कुतिया की जान ले लेगा।

    मुझे याद आता है

    एक मरा हुआ ख़रगोश

    चुपचाप पड़ा हुआ

    शिकारी की हथेलियों पर

    मैं चुपचाप खड़ा देख रहा था

    उसने शिकारी चाक़ू निकाला

    और हँसते हुए

    भोंक दिया उस

    बेबस मुर्दा जानवर के गुप्त अंगों में

    मैं मूर्छित सा हो गया।

    क्यों मैं सोचता हूँ यह सब?

    मरते हुए कुत्ते की कराहों को

    भूल जाना चाहिए

    जहाँ तक हो सके

    रेने शा,

    तुम कवि हो

    तुम्हें विश्वास है कि

    वह शक्ति है सौंदर्य में

    कि वह हर विकृति को सुधार सकता है

    मुझे भी इस पर विश्वास है

    साहस और आविष्कार के द्वारा

    हम दया के योग्य मूक पशुओं

    से आगे बढ़ जाएँगे

    सब लोगों को इस पर आस्था रखनी चाहिए

    जैसे तुमने मुझे सिखाया है

    इस पर विश्वास करना!

    स्रोत :
    • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 57)
    • संपादक : धर्मवीर भारती
    • रचनाकार : विलियम कार्लोस विलियम्स
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
    • संस्करण : 1960

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